
कानपुर / कानपुर जिले के विकासखंड चौबेपुर में चल रही ग्राम पंचायत सोशल ऑडिट की छवि को धूमिल कर रहे ग्राम पंचायत सोशल ऑडिटर सूत्र बताते हैं धन का लेनदेन करके ग्राम पंचायत सोशल ऑडिटर संपन्न कर रहे सोशल ऑडिट ग्राम पंचायत सोशल आडिट निदेशालय की उड़ाई जा रही है धज्जियां। विकासखंड चौबेपुर के भावानीपुर ग्राम पंचायत में सोशल ऑडिट के नाम पर खानापूर्ति करते हुए ग्रामीणों को ग्राम पंचायत सोशल ऑडिट के बारे में नहीं दी कोई जानकारी।

आपको बता दे कानपुर जिले के चौबेपुर विकासखंड के भावानीपुर ग्राम पंचायत में 2 मई शुक्रवार को सोशल आडिट के नाम पर औपचारिकता निभाई गई। आडिट के दौरान ग्राम सभा की खुली बैठक न होने से ग्रामीणों को मनरेगा योजना सहित अन्य विकास कार्यों की जानकारी नहीं मिल सकी। जागरूक ग्रामीणों के अनुसार सोशल आडिट के लिए टीम को तीन दिन पूर्व संबंधित ग्राम पंचायत के अभिलेख ब्लाक मुख्यालय से मिल जाते हैं। इन अभिलेखों का मिलान सोशल आडिट की तिथि से दो दिन पूर्व गांव में आकर टीम को करना होता है साथ ही इसकी मुनादी भी कराई जाती है। निर्धारित तिथि पर सोशल आडिट के दौरान गांव में खुली बैठक बुलाकर मनरेगा योजना अंतर्गत कराए गए कार्यों एवं अन्य योजनाओं द्वारा कराए गए कार्यों सहित मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री आवासों का, पेंशनर का सत्यापन किया जाता है लेकिन ग्रामीणों ने बताया कि भावानीपुर ग्राम पंचायत सोशल आडिट के लिए मुनादी नहीं कराई गई। इससे ग्रामीणों को आडिट बैठक की जानकारी ही नहीं हो सकी बैठक के दौरान सचिव मौके पर मौजूद नहीं रही, बैठक को 20 मिनट के अंदर ही समाप्त कर दिया गया।वहीं आडिटर संदीप त्रिपाठी ने पंचायत भवन को महात्मा देते हुए अवैध रूप से बच्चों के पठन-पाठन में व्यवधान डालते हुए प्राथमिक विद्यालय में ग्राम पंचायत सोशल ऑडिट की बैठक को संपन्न कराया, बैठक में आधा दर्जन महिलाओं को बुलाकर औपचारिकता के तौर पर अंगूठा लगवा लिया गया और उन्हें किसी भी योजना की जानकारी नहीं दी गई। सूत्र बताते हैं कि ऑडिटर संदीप त्रिपाठी पंचायत से ऑडिट के नाम पर 5 से 10 हजार रुपए मांग करते हैं नहीं मिलने पर रिकवरी की धमकी देते हैं।

सोशल ऑडिट के नियमानुसार सोशल ऑडिट कार्यक्रम तीन दिवसीय होता है। टीम पहले दिन कराए गए कार्यों के अभिलेखों का सत्यापन और जॉबकार्ड धारकों से संपर्क करती हैं। दूसरे दिन मनरेगा कार्यों का स्थलीय निरीक्षण और ग्रामीणों को बैठक में आने के लिए बुलाया जाता हैं। तीसरे दिन खुली बैठक होती है, बैठक में कराए गए कार्यों को टीम के सदस्य पढ़कर सुनाते है और सार्वजनिक सत्यापन होता है। इस दौरान ऑडिट के वित्तीय वर्ष के कार्यों को सुनकर के जनता सही गलत का फैसला करती है लेकिन चतुराई पूर्ण तरीके से अपने चाहतों को बुलाकर ग्राम प्रधान ने सोशल ऑडिटर से सांठगांठ कर खाना पूर्ति कर सोशल ऑडिट संपन्न कराया।