
गुड़गांव / के आर मंगलम विश्वविद्यालय भारत की विरासत में निहित गहन ज्ञान को स्वीकार करते हुए पारंपरिक भारतीय ज्ञान प्रणालियों को आधुनिक स्थिरता प्रथाओं के साथ एक एकीकृत करने के लिए प्रतिबद्ध है।शैक्षणिक कार्यक्रमों शोध पहलों और अंत विषय सहयोगों के माध्यम से विश्वविद्यालय पर्यावरण संरक्षण, समय चिकित्सा और सतत विकास में प्राचीन भारतीय सिद्धांतों के महत्व पर प्रकाश डालता है पारंपरिक ज्ञान को समकालीन वैज्ञानिक तरीके के साथ मिलकर के आर मंगलम विश्वविद्यालय वैश्विक चुनौतियों के लिए अभिनव समाधानों को बढ़ावा देता है, यह सुनिश्चित करता है कि भारत की समृद्ध संस्कृतिक विरासत सतत प्रगति में योगदान देती रहे ।


28 फरवरी 2025 को SDG के लिए उत्कर्षिता केंद्र ने स्कूल आफ लीगल स्टडीज में मोतीलाल नेहरू चेयर के सहयोग से हरियाणा के मुख्यमंत्री के OSD (ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी) और श्री विश्वकर्मा स्किल यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति प्रोफेसर राज नेहरू द्वारा दिया गया बाहरवा विशेष व्याख्यान आयोजित किया। व्याख्यान सतत विकास लक्ष्यों (SDG)भारतीय संस्कृति में स्थिरता के गहन रूप से निहित सिद्धांतों और प्रौद्योगिकी , चिकित्सा और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में भारत के ऐतिहासिक योगदान पर केंद्रित था। प्रो नेहरू ने चर्चा की की कैसे पारंपरिक भारतीय ज्ञान प्रणालियों समकालीन स्थिरता लक्ष्यों के साथ सरेखित होती है और उन्हें आधुनिक नीतियों और शिक्षा में शामिल करने की आवश्यकता पर बल दिया।

इसके अतिरिक्त ,प्रोफेसर मेहराज उद्दीन मीर (चेयर प्रोफेसर, मोतीलाल नेहरू) ने स्थिरता और सतत विकास लक्ष्यों पर अंत दृष्टि सांझा की ।स्थिरता का अर्थ वर्तमान जरूरत को पूरा करना है जबकि यह सुनिश्चित करना है कि भविष्य की पीढ़ियां अपनी जरूरत को पूरा कर सके। संतुलित और समृद्ध समाज बनाए रखना । संयुक्त राष्ट्र के 17 सतत विकास लक्ष्य गरीबी, जलवायु परिवर्तन, स्वच्छ ऊर्जा, गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा और जिम्मेदार उपभोग जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों से निपटने के लिए एक वैश्विक रोड मैप प्रदान करते हैं।ये लक्ष्य सरकारों, व्यवसायों और व्यक्तियों के सामूहिक प्रयासों को प्रोत्साहित करते हैं ताकि अधिक टिकाऊ और समावेशी दुनिया का निर्माण किया जा सके।।
